UDAY BHAN

नवीन भारत और आत्मबल की राह हनुमान के साथ

आज के समय में, जब विद्यार्थी अवसाद और मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं और युवाओं के दांपत्य संबंध महीने भर में टूटने लगे हैं, तो यह स्थिति हमारी सनातन परंपराओं के लिए एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। मन में एक विचार उठा कि यदि इस पर अभी ध्यान नहीं दिया गया, तो हमारी सनातनी परंपराएं धीरेधीरे नष्ट होती जायेंगी।

इस युग में विद्यार्थियों में प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन उन्हें खुद पर ही विश्वास भी नहीं हैं, और इसका सबसे बड़ा कारण है आत्मविश्वास की कमी उनकी सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि वे अपने भीतर आत्मविश्वास कैसे पैदा करें। इन्हीं विचारों के उधेड़बुन में मेरी चेतना को हनुमान जी महाराज ने दिशा दी। उन्हीं की प्रेरणा से मैं पहलेहनुमान चालीसाऔर फिरसुदंरकांडके साथ जुड़ पाया। फिर धीरे धीरे समझ आने लगा कि राम का मतलब होता है हमारे रोम रोम में प्रस्फुटित होने वाली उर्जा और इस उर्जा को प्रस्फुटित करने का सबसे सरल उपाय है हनुमान से नाता जोड़ोक्योकि राम दुआरे तुम रखवारे,” और की हनुमान की इसी दिशा ने मेरी जीवन दिशा और की दशा बदल दी। उनकी कृपा से मैंने आत्मविश्वास अनुभव करना प्रारंभ कर दिया जिसका परिणाम अभी आप पढ़ रहे हैं।

स्वास्थ्य, आत्मविश्वास और सफलता के देव है हनुमान

अक्सर युवा मुझसे पूछते है कि हम हनुमान जी की उपसना ही क्योें करें ? क्योकि बाबा तुलसीदास जी ने स्पष्ट लिखा है बल, बुधि, बिद्या देहु मोहिं, बाबा चाहते तो बुधि या बिद्या को पहले लिख सकते थे लेकिन संकेत स्पष्ट है पवनपुत्र होने के कारण बल यानि कि स्वास्थ्य के देव है हनुमान, कुमति निवार सुमति के संगी के कारण बुद्धि और ज्ञान गुन सागर के कारण विद्या के भी देव है हनुमान। वही आत्मविश्वास तो हनुमान के रोमरोम में बसा हुआ है और प्रभु के द्वारा हनुमान को जो भी काम सौंपा गया वह उन्होने सफलता पूर्वक सम्पन्न किया इसलिए सफलता के देव है हनुमान।   

जीवन का वास्तविक अर्थहनुमान के बिना संभंव नहीं

हमारा पहला जन्म मातापिता के माध्यम से ही संभव है इसलिए मातापिता हमारे लिए सर्वोपरी है जो इस दुनिया में सर्वोत्तम होता है वह मातापिता हमारे बारे में सोचते है। लेकिन वे इतना ही सोचा पाते है जितना उनकी दूरदृष्टि होती है। वही जब हम हमारे इस पृथ्वी पर आने का कारण समझ पाते है कि आखिर हमें ईश्वर ने हमें यहाँ भेजा क्यों ? तो यह हमारा दूसरा जन्म कहा जा सकता है। इस ब्रह्मांड में एक शक्ति ऐसी भी है जो हमारे लिए अच्छे और बुरे का निर्धारण करती है। कई बार, हमारे कार्यों में असफलता हमें परेशान करती है, लेकिन समय के साथ यह स्पष्ट होता है कि जो हुआ, वह हमारे मंगल के लिए ही था। मैं इस शक्ति को कोई राम के नाम से जानता है तो कोई कृष्ण के नाम से और जिनको जपने से सिद्धि मिल जाती है इस बात के साक्षी स्वंय शंकर है इसलिए मैं इस शक्ति को हनुमान के रूप में समझ पाया। इसलिए मैने विद्यार्थियों और युवाओं को हनुमान के साथ जोड़ने का संकल्प लिया।

मैं सनातनी बेटो से कहता हँूहनुमान जी को अपना गुरू बना लो।क्योकि जिसके गुरू ही हनुमान हो उसका आत्मविश्वास को स्वतः ही जागृत होने लगता है, वही सनातनी बेटियों को कहता हूँ किहनुमान जी को राखी बाँध कर अपना भाई बना ला क्योकि जिसका भाई ही हनुमान हो उसके जीवन से डर स्वतः ही समाप्त होने लग जाता है औरडर के आगे ही जीत है।

हनुमान जी की उपासना करके उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपना कर उनका कृपा बनकर उत्तम स्वास्थ्य, बुद्धि, विद्या और आत्मविश्वास से सफलता प्राप्त करके ही नवीन भारत का निर्माण संभंव है।

नव निर्माण की ओर एक कदम है सुदंरकांड

सुग्रीव ने सभी वानरों को बुला कर कहा

जनकसुता कहुँ खोजहु जाई, मास दिवस महँ आएहु भाई।

अवधि मेटि जो बिनु सुधि पाएँ, आवइ बनिहि सो मोहि मराएँ।।

जाकर जानकीजी को खोजो, हे भाई, महिने भर में वापस जाना। जो अवधि बिताकर बिना पता लगाये ही लौट आवेगा उसे मेरे द्वारा मरवाते ही बनेगा।

एक योजना, एक समयबद्ध लक्ष्य और एक संकल्प को लेकर किया गया कार्य हमारे जीवन में सुदंरकांड रचता है। इसलिए हर शुभ कार्य का प्रारंभ सुदंरकांड से ही करें।

सुदंरकांडकेवल मात्र एक कथा नहीं है, यह हमारे जीवन को सुंदर बनाने का मार्ग है। हम सभी मिलकर अपने भीतर आत्मबल जगाएं, अपनी सनातन परंपराओं स्वंय के लिए और भावी पीढ़ी के लिए सहेजें और हनुमान जी के अराधना के साथ उनके आदर्शों को अपनाकर एक सनातनी समाज और राष्ट्र का निर्माण करें।

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